‘जो बांग्लादेश में हो रहा है, वैसा भारत में भी हो सकता है’, सलमान खुर्शीद का बयान

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कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने मंगलवार को बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक स्थिति को लेकर चिंता जताई और कहा कि भारत में भी ऐसा ही हो सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री खुर्शीद, जिन्होंने शिक्षाविद मुजीबुर रहमान की किताब ‘शिकवा-ए-हिंदः द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडियन मुस्लिम्स’ के विमोचन के अवसर पर ये बातें कीं, ने कहा कि बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद के घटनाक्रम चिंताजनक हैं।

खुर्शीद ने कहा, “कश्मीर में सब कुछ सामान्य दिख सकता है, लेकिन बांग्लादेश की घटनाएं हमें चेतावनी देती हैं। हमारे देश में हालात को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बांग्लादेश की तरह परिस्थितियां हमारे यहां भी उत्पन्न हो सकती हैं।”

शाहीन बाग आंदोलन की विफलता पर सलमान खुर्शीद की टिप्पणी

खुर्शीद ने शाहीन बाग आंदोलन की विफलता पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कई लोग मानते हैं कि शाहीन बाग आंदोलन सफल रहा, वास्तव में आंदोलन से जुड़े कई लोग अब भी जेल में हैं और उनके अधिकारों पर सवाल उठ रहे हैं। खुर्शीद ने कहा, “शाहीन बाग का आंदोलन सफल था या नहीं, इसका आकलन करना कठिन है। आंदोलन के दौरान पीड़ा और संघर्ष के बावजूद, आज भी कई लोग जेल में हैं और उन्हें न्याय नहीं मिला है।”

आरजेडी सांसद मनोज झा का बयान

आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने शाहीन बाग आंदोलन को उसके महत्व और उपलब्धियों के अनुसार मान्यता देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “शाहीन बाग की सफलता को उसकी भव्यता के पैमाने पर नहीं मापा जाना चाहिए। जब संसद हार गई, तो सड़कें जीवंत हो गईं।”

ओवैसी का बयान

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जताई और पूछा कि अगर विपक्षी दलों की सरकार होती तो क्या स्थिति बदल जाती। उन्होंने कहा, “मुसलमानों ने कभी भी दक्षिणपंथी उम्मीदवारों या बीजेपी को वोट नहीं दिया। अगर गैर-बीजेपी सरकार होती, तो भी स्थिति में बड़ा बदलाव नहीं होता।”

थरूर का बयान

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शाहीन बाग में शामिल विभिन्न धर्मों के लोगों की उपस्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वाले केवल मुस्लिम नहीं थे, बल्कि वहां सभी धर्मों के लोग शामिल थे। मैं स्वयं सात विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में गया हूं और वहां हर धर्म के लोग उपस्थित थे।”

इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में विभिन्न मुद्दों पर तीव्र चर्चाएं चल रही हैं और विभिन्न नेताओं की अलग-अलग राय है, जो देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को आकार देती हैं।