नई दिल्ली/डेस्क: ज्ञानवापी परिसर में जो व्यासजी तहखाना है, वहां पूजा की मांग पर बहुत समय से अदालती जंग चल रही है। हाल ही में आया फैसला बताता है कि हिंदू पक्ष ने कहा है कि मंदिर भवन के दक्षिण भाग में स्थित तहखाने में मूर्ति की पूजा होती थी। 1993 के बाद, पुजारी व्यासजी को इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया था।
हिंदू पक्ष ने यह दावा किया कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यासजी ब्रिटिश शासन के दौरान भी वहां कब्जे में थे। इस कारण, तहखाने में होने वाले राग-भोग आदि संस्कार रुक गए थे। व्यासजी ने दिसम्बर 1993 तक वहां भवन में पूजा अर्चना की थी। बाद में, तहखाने का दरवाजा हटा दिया गया। हिन्दू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री में बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री उस तहखाने में मौजूद है।
राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बिना किसी विधिक अधिकार के तहखाने के भीतर पूजा माह दिसम्बर 1993 से रोक दी। हिंदू पक्ष ने अदालत से अनुरोध किया कि एक रिसीवर को नियुक्त किया जाए, जो तहखाने में पूजारी द्वारा की जाने वाली पूजा को नियंत्रित करे और उसका प्रबंध करे।
न्यायालय ने 17 जनवरी 2024 को एक आदेश में रिसीवर की नियुक्ति की, लेकिन तहखाने में पूजा-अर्चना के संबंध में कोई आदेश नहीं दिया। हिंदू पक्ष ने अपनी दलील में कहा कि तहखाने में मौजूद मूर्तियों की नियमित पूजा आवश्यक है।
अभी क्या फैसला आया है?
बुधवार को वाराणसी कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने व्यास परिवार को तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया है। हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि व्यासजी के तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया गया है और कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर आदेश का अनुपालन करने का आदेश जिला अधिकारी को दिया है।
वादी अधिवक्ताओं ने कहा है कि व्यासजी के तहखाने को डीएम की सुपुर्दगी में दिया गया है। अधिवक्ताओं के अनुरोध पर कोर्ट ने नंदी के सामने की बैरिकेडिंग को खोलने की अनुमति दी है। ऐसे में अब तहखाने में 1993 के पहले के जैसे पूजा के लिए अदालत के आदेश से आने- जाने दिया जाएगा।
लेखक: करन शर्मा