First Opposition Leader: सदन में नेता प्रतिपक्ष पद कब अस्तित्व में आया; जानिए… कौन थे पहले नेता प्रतिपक्ष?

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First Opposition Leader: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के बाद अस्तित्व में आया। यह वह समय था जब कांग्रेस दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी: कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई)। कांग्रेस (ओ) के नेता राम सुभग सिंह ने इस पद के लिए दावा किया। 1977 में संसद ने एक अधिनियम के माध्यम से नेता प्रतिपक्ष पद को वैधानिक दर्जा प्रदान किया। इस अधिनियम में कहा गया कि किसी विपक्षी दल को अपने नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा पाने के लिए सदन के कम से कम दसवें हिस्से पर अधिकार होना चाहिए।

कौन थे पहले नेता प्रतिपक्ष?

राम सुभग सिंह का जन्म 7 जुलाई 1917 को बिहार के आरा जिले में हुआ था। वे एक प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ सक्रिय भूमिका निभाई थी। वे जवाहर लाल नेहरू के करीबी सहयोगी भी थे।

राम सुभग सिंह ने 1952 में सासाराम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता और प्रथम लोकसभा के सदस्य बने। इसके बाद वे 1957, 1962, और 1967 में भी अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए। वे कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण केंद्रीय मंत्रियों के पद पर रहे।

1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद, राम सुभग सिंह कांग्रेस (ओ) के साथ जुड़ गए और उन्हें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद सौंपा गया। वे 1969-1970 में लोकसभा के पहले नेता प्रतिपक्ष बने। उनका निधन 16 दिसंबर 1980 को हुआ।

नेता प्रतिपक्ष की भूमिका

नेता प्रतिपक्ष का पद लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पद विपक्षी दलों के विचारों और चिंताओं को प्रस्तुत करने का माध्यम होता है और सरकार की नीतियों और कार्यों पर नियंत्रण रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बता दें कि, पिछले 10 वर्षों में, 2014 से 2024 तक, इस पद के लिए कोई योग्य सदस्य नहीं था, लेकिन 2024 में राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष चुना गया है।