नई दिल्ली/डेस्क: जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी कैसे बने? क्या उनके घर में भी कोई खालिस्तानी था? या फिर खालिस्तान का समर्थन करना उनके संस्कारों में है? आपको जानकर शायद हैरानी हो, लेकिन उनके पिता भी बड़े खालिस्तानी समर्थक थे।
ये कहानी है 1985 की जब खालिस्तानियों ने एयर इंडिया की फ्लाइट 182 को उड़ा दिया था जिसमें 329 लोग मारे गए थे। पायलट कैप्टन भिंडर की विधवा अमरजीत न्याय की मांग करती रहीं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला।
ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि ट्रूडो के पिता ने सभी आरोपियों को रिहा कर दिया था और एक भी आरोपी को भारत को सौंपने से साफ इनकार कर दिया था। और बमवर्षक विमान भी सौंपने से इनकार कर दिया था।
दुराचार की हद देखिए कि 2006 में इसकी जांच के लिए एक कनाडाई आयोग को नियुक्त किया गया। और 2010 में उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह एक ऐसी आपदा थी जो त्रुटियों की व्यापक शृंखला के कारण घटित हुई।
अब एक पल के लिए सोचिए कि उन 329 लोगों के साथ-साथ उनके परिवारों को किस स्तर की मानसिक क्षति हुई होगी, जिसकी भरपाई आज तक नहीं हो पाई है।
लेखक: कारन शर्मा