जब सिखों ने किया बाबरी मस्जिद पर कब्जा और दीवारों पर लिखा राम-राम

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नई दिल्ली/डेस्क: जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल, वाहे गुरु जी की खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह। दोस्तों ये एक ऐसा जयकारा है जिसे सुनकर एक ऐसा जोश दिलों दिमाग में भर जाता है, जिसे शयद ही आप शब्दों में बयान कर पाए। ऐसी ही कोई जगह होगी जहा सिख आपको दुसरो की सेवा करते न दिखाई दे. अब इसी क्रम में जिन निहंगों ने 1858 में बाबरी मस्जिद पर कब्जा किया था, अब उनके वंशज अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन यहां पर लंगर चलाएंगे।

गौरतलब है कि 1858 की घटना का जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर फैसला सुनाते वक्त भी किया था। यह वाकया है साल 1858 के नवंबर महीने का। निहंग बाबा फकीर सिंह खालसा के नेतृत्व में 25 निहंगों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर कब्जा कर लिया। इतना ही नहीं उन्होंने इसमें हवन भी किया।

इसके अलावा निहंगों ने मस्जिद की दीवार पर राम-राम लिखा और केसरिया झंडा लहराया। इसको लेकर 30 नवंबर 1858 के दिन अवध पुलिस थाने में 25 निहंगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई। निहंग सिंह के आठवें वंशज जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर का मानना है की जो लोग भी सिखों और हिंदुओं में मतभेद करने की कोशिश कर लें कि राम मंदिर को लेकर पहली FIR हिंदुओं नहीं, बल्कि सिखों पर हुई थी।

लेखक: करन शर्मा