‘जब विभीषण राम के शरण में आ सकता है तो नीतीश कुमार के आने में क्या अंतर पड़ता है’: रामभद्राचार्य

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नई दिल्ली/डेस्क: बिहार में पिछले तीन दिनों से चल रही सियासी उथल-पुथल रविवार को समाप्त हो गई और नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर 9वीं बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनके शपथ लेते ही आरजेडी ने आक्रमण किया। इसी बीच, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने राम की शरण में विभीषण के आने का उदाहरण दिया और बताया कि नीतीश को आरजेडी के साथ सम्मान नहीं मिल रहा था।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के हाथरस में नीतीश कुमार के सीएम पद की शपथ लेने के संबंध में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है, वह अच्छा है। राजनीति में ऐसा होता रहता है। नीतीश कुमार को वहां सम्मान नहीं मिल रहा था। जब रावण का भाई विभीषण राम की शरण में आ सकता है, तो नीतीश कुमार के आने से क्या अंतर पड़ता है।

नीतीश कुमार के साथ 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है। अभी सभी विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास ही रहेंगे। मंत्रिमंडल का पूर्ण विस्तार होने के बाद ही मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किया जाएगा। बिहार विधानसभा का सत्र 5 फरवरी से शुरू होना है। नीतीश कुमार ने सोमवार को कैबिनेट की पहली बैठक की घोषणा की है। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बधाई भी दी।

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में संयोजक की दौड़ में नीतीश कुमार आगे थे। उन्होंने कांग्रेस से लेकर अधिकतर पार्टियों को एकसाथ लाने का काम किया था, लेकिन उन्हें संयोजक नहीं बनाया गया। ये बात नीतीश कुमार को नागवार गुजरी। हालांकि उन्होंने कई बार कहा है कि उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है। अब वे एनडीए के साथ हैं। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि कैप्टन ने गठबंधन छोड़ दिया है और यह हमारे लिए दुखद है।

लेखक: करन शर्मा