नई दिल्ली/डेस्क: दशहरे के दिन रावण का दहन कर विजयादशमी के पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं। लेकिन क्या आपको जानते हैं ,भारत में ऐसी भी कुछ जगह हैं, जहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता बल्कि उसकी पूजा की जाती है। आप कहेंगे ऐसा कैसे राम को पूजने वाले देश में रावण की पूजा नहीं हो सकती। तो चलिए जानते है आख्र रावण को कहां और क्यों पूजा जाता है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में रावण का दहन नहीं किया जाता। रावण ने भगवान शंकर को बैजनाथ कांगड़ा में ही अपनी कठिन तपस्या से प्रसन्न किया था और तब से लेकर अब तक वहां के लोग रावण को शिव का परम भक्त मानकर ,उसकी पूजा करते हैं।
जोधपुर के मौदगिल में रावण को ब्राह्मण समाज का वंशज माना जाता है। इसी वजह से वहां के लोग रावण का दहन करने की बजाय उसकी पूजा कर उसकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी करते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के बिसरख मेंहुआ था। इसलिए यहां रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि वहां रावण और रावण के पिता ऋषि विश्वा की पूजा होती है।
महाराष्ट्र के एक गांव गढ़चिरौली में भी लोग रावणका दहन करने की जगह उसकी पूजा करते है। क्योंकि यहां के लोग रावण को देवताओं का पुत्र मानते है और उसने अपने जीवन में कोई भी गलत काम नहीं किया।
उज्जैन के चिकली गांव में भी रावण का पुलता जलाने की जगह उसकी पूजा की जाती है। लोगों का मानना है कि यदि रावण की पूजा नहीं होगी ,तो पूरेगांव का सर्वनाश हो जाएगा इसलिए हर साल दशहरे के दिन इस गांव मेंरावण की बड़ी सी मूर्ति स्थापित कर उसकी पूजा की जाती है।
लेखक: करन शर्मा