कौन हैं केके नायर जिन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आदेश पर भी नहीं हटाई भगवान राम की मूर्ति?

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नई दिल्ली/डेस्क: 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम की तैयारी अंतिम चरण में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस समारोह में शामिल होंगे। पहले से ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का ऐलान किया है। इसी दौरान, हमें उस व्यक्ति को नहीं भूलना चाहिए जिनके नेतृत्व में बाबरी मस्जिद में रातों-रात रामलला की मूर्तियां रख दी गई थीं। यह व्यक्ति थे तब के फैजाबाद जिले के डीएम केके नायर।

रामलला की मूर्तियों को हटाने के लिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें दो बार आदेश दिया, लेकिन केके नायर ने उन आदेशों का पालन करने से इनकार किया। इससे उनकी छवि हिंदूवादी अधिकारी की बन गई, जिसके बाद वह लोकसभा चुनाव भी जीते। इससे उनकी छवि का फायदा उनके ड्राइवर तक पहुँचा और वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर विधायक बने।

हेमंत शर्मा ने अपनी किताब में बताया है कि बाबरी मामले में नायर ने एक बड़ा रोल निभाया था, जिससे देश में सामाजिक-राजनीतिक दृष्टि से काफी परिवर्तन हुआ। केके नायर ने 1 जून 1949 को फैजाबाद के कलेक्टर के रूप में नियुक्ति पाई थी।

23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां बाबरी मस्जिद में रखी गईं, तो नेहरू ने तत्कालीन सीएम गोविंद बल्लभ पंत से मूर्तियां हटाने का आदेश दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस आदेश का पालन करने का आदेश दिया, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के डर से इसे पूरा करने में असमर्थता जताई।

नायर बने सांसद, तो उनका ड्राइवर बना विधायक

तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने मूर्तियां हटाने का आदेश दोबारा जारी किया, लेकिन जब नायर को यह सुना, तो उन्होंने सरकार से लिखा कि मूर्तियां हटाने से पहले उन्हें हटा दिया जाए। देश के सांप्रदायिक माहौल को देखते हुए सरकार पीछे हट गई। केके नायर ने 1952 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और फिर उत्तर प्रदेश की बहराइच से जनसंघ के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत गए।

उनकी पत्नी शकुंतला नायर भी जनसंघ के टिकट पर कैसरगंज से तीन बार लोकसभा पहुंचीं। इसके बाद, उनके ड्राइवर ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में चयन हासिल किया। विवादित स्थल से मूर्तियां हटाने पर मुसलमानों और हिंदुओं के बीच विरोध हुआ, जिसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दायर किया। इसके पश्चात, सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया।

लेखक: करन शर्मा