New Face of NTA: विवाद और गड़बड़ियों से भरा रहा है NTA का इतिहास, जानिए कौन हैं NTA के नए DG प्रदीप सिंह खरोला?

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New Face of NTA: हाल के दिनों में देशभर में परीक्षा प्रणाली को लेकर उथल-पुथल और विरोध-प्रदर्शनों की गूंज से घिरा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) अब एक नए नेतृत्व के तहत सुधार की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। केंद्र सरकार ने NEET-UG में कथित अनियमितताओं और UGC-NET परीक्षा में धांधली के आरोपों के बीच शनिवार को NTA के महानिदेशक (DG) सुबोध कुमार को उनके पद से हटा दिया है। उनकी जगह अब रिटायर्ड IAS अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला ने संभाली है, जो NTA के नए DG के रूप में नियुक्त हुए हैं। NTA के नए नेतृत्व के साथ, देश की परीक्षा प्रणाली में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

NTA में सुधार के लिए हुआ उच्च स्तरीय समिति का गठन

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में NTA में आंतरिक सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया था। इसी दिशा में, सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसका नेतृत्व इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन करेंगे। इस समिति का मुख्य उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल और NTA की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए सिफारिशें तैयार करना है। समिति दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को सौंपेगी, जो परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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कौन हैं प्रदीप सिंह खरोला?

प्रदीप सिंह खरोला एक अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी हैं, जिन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। वे 1985 बैच के कर्नाटक कैडर के IAS अधिकारी हैं। खरोला ने एयर इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्य किया है, जहां उन्होंने कंपनी के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, उन्होंने बेंगलुरु मेट्रो रेल निगम के प्रबंध निदेशक और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उनके पास सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में कार्य का व्यापक अनुभव है, जो NTA में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

प्रदीप सिंह खरोला के सामने हैं बड़ी चुनौतियां

NTA के सामने वर्तमान समय में कई बड़ी चुनौतियाँ हैं। हाल ही में NEET-UG परीक्षा में कथित गड़बड़ियों और UGC-NET परीक्षा में धांधली के आरोपों ने एजेंसी की साख को हिला दिया है। इन आरोपों के बाद सरकार ने NEET-UG परीक्षा की जांच CBI को सौंप दी है और NEET-PG प्रवेश परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया है। एनटीए के नए प्रमुख प्रदीप सिंह खरोला के सामने सबसे बड़ी चुनौती परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना है ताकि NTA पर लोगों का भरोसा बना रहे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

प्रदीप सिंह खरोला से NTA ने जताई नई उम्मीदें

प्रदीप सिंह खरोला की नियुक्ति के साथ, NTA को एक नया नेतृत्व मिला है जो एजेंसी के सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है। खरोला के अनुभव और प्रशासनिक कुशलता को देखते हुए, यह उम्मीद की जा सकती है कि NTA भविष्य में परीक्षा प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष बनाने की दिशा में अग्रसर होगा। उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और सरकार के समर्थन के साथ, NTA का यह नया चेहरा परीक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देने में सक्षम हो सकता है।

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बात दें कि इस नई नियुक्ति और सुधार के प्रयासों से देश के छात्रों और अभिभावकों को उम्मीद की एक नई किरण मिली है। प्रदीप सिंह खरोला के नेतृत्व में NTA भविष्य में परीक्षा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे, जिससे एजेंसी पर लोगों का भरोसा फिर से बहाल होगा।

विवादों से भरा रहा है NTA का इतिहास

NTA का गठन मार्च 2018 में उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रवेश परीक्षाओं के लिए एक स्वतंत्र और स्वायत्त निकाय के रूप में किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य परीक्षा प्रक्रियाओं को पारदर्शी, कुशल और निष्पक्ष बनाना था। लेकिन इसकी स्थापना के बाद से ही, NTA ने कई विवादों का सामना किया है। 2019 में JEE मेन्स परीक्षा के दौरान सर्वर खराबी, 2020 में NEET परीक्षा की बार-बार स्थगन और 2021 में JEE मेन्स में गलत प्रश्नों को लेकर हुए विवाद, NTA की प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े करते रहे हैं। हाल ही में 2023 में NEET परीक्षा में हुई गड़बड़ियों ने छात्रों और अभिभावकों को और अधिक निराश किया है।