अमेठी छोड़ रायबरेली से ही क्यों मैदान में उतरे राहुल गांधी? ये अचानक नहीं, रणनीति के तहत हुआ सब कुछ…

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राहुल गांधी ने रायबरेली से किया नामांकन

नई दिल्ली/न्यूज़ डेस्क: 18वीं लोकसभा के लिए हो रहा आम चुनाव 2024, दूसरे चरण की वोटिंग के बाद और भी दिलचस्प हो चुका है। क्योंकि यूपी की जिन दो सीटों पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ था, वो अब राहुल गांधी के रायबरेली से नामांकन करने के साथ ही खत्म हो चुका है।

वहीं, कांग्रेस ने अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है। लेकिन कांग्रेस के इस फैसले के बाद पार्टी पर कई सवाल उठ रहे हैं। खासकर राहुल गांधी का अचानक रायबरेली से नामांकन करना। वहीं, सवाल ये भी है कि राहुल गांधी ही क्यों, प्रियंका गांधी क्यों नहीं? क्योंकि पार्टी ने अभी तक भी प्रियंका गांधी को कहीं से मैदान में नहीं उतारा है।

बता दें कि, कांग्रेस अपने इस फैसले को भले ही मास्टर स्टोक कह रही हो, लेकिन राहुल गांधी का अमेठी के बजाय रायबरेली को चुनने का आधार क्या है? क्या कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से चुनावी मैदान में उतार कर वॉकओवर दे दिया है? इन सभी सवालों के जवाब अब 4 जून को चुनावी परिणाम आने के बाद ही मिलेगा। लेकिन पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस को इन सभी सवालों का सामना करना पड़ सकता है।

दिल की नहीं दिमाग की सुन रहे हैं राहुल गांधी ?

कांग्रेस के आखिरी वक्त में लिए गए इस फैसले के बाद अब ऐसा लगने लगा है कि राहुल गांधी दिल की नहीं, बल्कि दिमाग की सुन रहे हैं। क्योंकि आखिरी वक्त तक कैलकुलेशन करने के बाद कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली का सस्पेंस खत्म कर दिया। और राहुल गांधी ने अपनी ट्रेडिशनल सीट अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर लिया। पार्टी ने उन्हें रायबरेली से उतारा है, जहां से सोनिया गांधी चुनाव लड़ती रही हैं। 2019 में अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करीब 55 हजार वोटों से हराया था। जबकि रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी करीब 1.7 लाख वोटों से जीती थीं।

राहुल गांधी ने अमेठी से क्यों नहीं लड़ा चुनाव ?

रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी के नामांकन के बाद से ही एक सवाल, जो सबसे ज्यादा चर्चा में है और वो है, कि राहुल गांधी ने अमेठी को क्यों छोड़ा? जबकि वो उनकी ट्रेडिशनल सीट थी। लेकिन आपको यहां पर ध्यान देने की जरूरत है कि इस आम चुनाव 2024 का चुनावी माहौल पूरी तरह मोदी बनाम राहुल गांधी के इर्द-गिर्द ही घूमता नजर आया है।

अगर ऐसे में राहुल गांधी अमेठी से मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनावी मैदान आते, तो पूरा चुनावी माहौल ईरानी बनाम राहुल गांधी हो जाता। और कांग्रेस की अब तक की पूरी महनत पर पानी फिर जाता। साथ ही अगर राहुल गांधी दूसरी बार भी अमेठी से चुनाव हार जाते, तो राहुल गांधी ने भारत जोड़ा यात्रा शुरू करके अभी तक राजनीति में जो भी पकड़ बनाई थी, वो सारी की सारी धरातल पर आ जाती।

क्या रायबरेली और गांधी परिवार का नाता, राहुल को दिलाएगा जीत ?

अगर वो किसी कारणवश रायबरेली की सीट को हार भी जाते हैं, तो कम से कम उनका रानीतिक कैरियर तो बचा रहेगा। लेकिन रायबरेली में गांधी परिवार के साथ कभी ऐसा नहीं हुआ है कि गांधी परिवार से कोई मैदान में हो और उसको हार का सामना करना पड़े। क्योंकि ये रायबरेली से ये नाता चार पीड़ियों का रहा है।

राजनीतिक जानकारों की मानें, तो रायबरेली सीट जब से (1957) अस्तित्व में आई है। तब से लेकर अभी तक 16 बार कांग्रेस को यहां से जीत मिली है।

क्या अमेठी और रायबरेली पर सस्पेंस बनाए रखना चाहती थी कांग्रेस ?

राजनीति में कब क्या हो जाए, ये कहा नहीं जा सकता है, लेकिन राजनीति में सस्पेंस को बनाए रखना काफी मायने रखता है। आखिरी वक्त पर राहुल गांधी को रायबरेली से मैदान में उतार कर कांग्रेस ने इस बात सही साबित कर दिया है। इस बात में अब कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस पहले से ही अपनी रणनीति बना चुकी थी। क्योंकि न्यूज़ इंडिया एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस महासचिव ने इस बात को ओर इशारा भी किया था।

बता दें कि जब, न्यूज़ इंडिया के एडिटर ओम प्रकाश ने अमेठी और रायबरेली सीट को लेकर उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा कि, “ये एक रणनीति है और सही समय पर इसकी घोषणा होगी।”

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