आखिर क्यों रेल बजट और आम बजट एक साथ पेश किया जाने लगा ? जानें पूरी कहानी

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Budget History: वित्त वर्ष 2016-17 तक रेल बजट और आम बजट को अलग-अलग पेश किया जाता था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार वित्तीय वर्ष 2017-18 में रेल बजट और आम बजट को एक साथ पेश कर 92 साल से चली आ रही प्रथा को समाप्त किया। पहले संसद में दो बजट पेश किए जाते थे एक ‘रेल बजट’ और दूसरा ‘आम बजट’। भारत सरकार ने 21 सितंबर 2016 को आम बजट के साथ रेल बजट के विलय को मंजूरी दे दी। उस समय वित्त मंत्री अरुण जेटली थे। उन्होंने 1 फरवरी, 2017 को आजाद भारत का पहला संयुक्त बजट संसद में पेश किया गया।

इस बार भी रेल बजट आम बजट के साथ ही होगा पेश

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट 2024 पेश करेंगी, इस में रेल बजट भी शामिल होगा। हालांकि, हमेशा ऐसा नहीं था। वित्त वर्ष 2016-17 तक केंद्रीय बजट से कुछ दिन पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था। 2016 में रेल मंत्री रहे पीयूष गोयल ने आखिरी बार रेल बजट पेश किया था। 92 साल पुरानी यह प्रथा तब समाप्त हुई जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए केंद्रीय बजट के साथ ही रेल बजट पेश किया।

1924 में शुरू की गई थी रेलवे के लिए अलग बजट की परंपरा

रेलवे के लिए अलग बजट की प्रथा साल 1924 में शुरू हुई थी। यह फैसला एकवर्थ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया था, पर 2017 से रेल बजट आम बजट के साथ ही पेश किया जाने लगा। 1921 में ईस्ट इंडिया रेलवे कमेटी के चेयरमैन सर विलियम एक्वर्थ रेलवे को एक बेहतर मैनेजमेंट सिस्टम में लाए थे। इसके बाद उन्होंने 1924 में इसे आम बजट से अलग पेश करने का फैसला किया तब से लेकर साल 2016 तक यह अलग-अलग पेश किया जाता रहा। भारत को आजादी मिलने के बाद पहला रेल बजट 1947 में देश के पहले रेल मंत्री जॉन मथाई ने पेश किया था। मथाई ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में दो आम बजट भी पेश किए थे। 2016 में रेल मंत्री रहे पीयूष गोयल ने आखिरी बार रेल बजट पेश किया था।

लेखक – आयुष राज