इजरायल और हमास के बीच जंग से सऊदी अरब प्रिंस की परेशानियां क्यों बढ़ी?

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नई दिल्ली/डेस्क: बीते शनिवार फिलिस्तीन चरमपंथी संगठन हमास ने इज़राइल पर हमला किया, जिसके बाद इज़राइल ने हमास के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने का ऐलान कर दिया. हमास के हमले और इज़राइल के पलटवार के बाद से पूरे मध्य-पूर्व में हालात तेज़ी से बदले हैं.

पूरे मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ा है और मौजूदा स्थिति में ईरान की महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा के मद्देनज़र सऊदी अरब की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मंगलवार को सऊदी अरब की कैबिनेट की अहम बैठक हुई, बैठक के बाद सऊदी सरकारी प्रेस ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार इस मुद्दे पर वैश्विक और इलाक़े के दूसरे नेताओं से चर्चा कर रही है और चाहती है कि ये तनाव इलाक़े के दूसरे मुल्कों में न फैले. बयान में कहा गया है कि सऊदी अरब फिलिस्तीन लोगों के वैध अधिकार हासिल करने, सम्मानजनक जीवन जीने की कोशिश और उनकी उम्मीदों को पूरा करने और न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की कोशिश में उसके साथ खड़ा रहेगा.

एमबीएस ने फिलिस्‍तीन के राष्‍ट्रपति अब्‍बास से तो बात की ही साथ ही साथ एक अहम कैबिनेट मीटिंग भी हुई है. सऊदी क्राउन प्रिंस यह बर्दाश्‍त नहीं कर पाएंगे कि तनाव क्षेत्र के दूसरे देशों तक न पहुंचे. इस हमले के बाद इजरायल ने ईरान पर भी आरोप लगाए हैं. वहीं अमेरिकी मीडिया में भी हमास को मिले ईरान के समर्थन की चर्चा हो रही है.

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के शीर्ष सैन्य सलाहकार ने कहा है कि तेहरान इजरायल के खिलाफ हमास के हमलों का समर्थन करता है. द न्यू अरब की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के मुसलमानों और अरबी लोगों के लिए फिलिस्‍तीन बहुत जरूरी है. एमबीएस यह बात जानते हैं कि अगर उन्‍होंने फिलिस्‍तीन से मुंह मोड़ा तो असर क्षेत्र में और ग्‍लोबली उसकी इमेज पर भी पड़ेगा.

लेखक: इमरान अंसारी