कांग्रेस बिहार की तरह राजस्थान में क्यों कराना चाहती है जाति जनगणना

Published

जयपुर/राजस्थान: इस साल के अंत तक 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। साथ ही 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव भी होना है। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसको लेकर चुनाव आयोग ने अपनी तैयारियां पुरी कर ली हैं और वह किसी भी वक्त चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।

अगर इन पांच राज्यों में मौजूदा सरकारों को देखें तो सभी पार्टियां चाहती हैं कि वे राज्यों में फिर से सत्ता पर कब्जा करें। फिर चाहे इसके लिए उन्हें चुनावी मैदान में कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े। जिसका नजारा आप राजस्तान से लेकर मध्य प्रदेश तक देख सकते हैं।

राजस्थान में होगी जाति जनगणना

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, “बिहार की तरह राजस्थान में भी जाति-वार जनगणना की जाएगी।” इस मामले में शनिवार (07 अक्टूबर) को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें राज्य में जातिवार जनगणना कराने का निर्णय लिया गया।

बिहार की तर्ज पर होगी जनगणना

बिहार की तरह राजस्थान में भी जातिवार जनगणना कराई जाएगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा घोषित जाति आधारित गणना और आनुपातिक भागीदारी के दिशानिर्देशों में राज्य में सुधार किया जाएगा। क्योंकि देश में विभिन्न जातियां हैं। यहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। विभिन्न जातियां अलग-अलग कार्य करती हैं।

इसपर पार्टी का कहना है कि अगर हमें पता हो कि वहां कौन सी जाति और कितनी आबादी है, तो हम जान सकते हैं कि हमें उनके लिए क्या कार्यक्रम करने चाहिए। हमारे लिए जाति के आधार पर प्रोजेक्ट तैयार करना आसान है।

बिहार में हुई जातिगत जनगणना पर भले ही उंगलियां उठी हों, लेकिन जाति जनगणना के बाद सभी पार्टियों के लिए एक काम सबसे ज्यादा आसान हो गया है और वो है।

जाति के आधार पर वोटों को रिझाना, उनके अनुसार रणनीति तैयार करना और सबसे आसान होगा सीटों का बटवारा। जैसे ही बिहार में इंडिया गठबंधन ने जातिगत जनगणना का समर्थन किया, कांग्रेस को उम्मीद है कि ठीक वैसे ही राजस्थान में भी जाति जनगणना का समर्थन होगा। अगर जाति जनगणना विधानसभा चुनाव से पहले होती है तो कांग्रेस को राजस्थान का रण जीतना आसान होगा।