पाकिस्तान के दोस्त चीन को, पाकिस्तान में ही, क्यों मौत के घाट उतारा जा रहा है?

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नई दिल्ली/डेस्क: 13 अगस्त, रविवार की सुबह, ग्वादर बंदरगाह क्षेत्र में एक घटना घटी जिसमें चीनी इंजीनियरों के काफिले पर हमला किया गया। इस काफिले में ग्वादर शहर के 23 चीनी इंजीनियर शामिल थे. काफिले में 3 एसयूवी और 1 वैन थी, जिनमें चीनी इंजीनियर सवार थे।

इन गाड़ियों में बुलेटप्रूफ टेक्नोलॉजी थी लेकिन हमलावर ने यह हमला आईईडी विस्फोट करके और वैन पर गोलियाँ चलाकर किया। हालांकि, चीन ने इस हमले में किसी की मौत की खबरों का खंडन किया है।

पाकिस्तान स्थित चीनी दूतावास ने इस हमले को ‘चरमपंथी हमला’ कहकर इसकी निंदा कि है और चीन ने पाकिस्तान से हमले की जांच की मांग की है, इसके साथ ही आगामी घटनाओं की रोकथाम के लिए कठोर कदमों की मांग की है।

पाकिस्तान में चीन से इतनी नफरत कौन करता है?

इस परिस्थिति में यह प्रश्न उठता है कि एक ओर चीन और पाकिस्तान के रिश्ते मजबूत हैं, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में चीन से इतनी नफरत कौन करता है?

यह हमला किसने किया, इसका पता चलते ही बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने खुद को जिम्मेदार मानते हुए इसकी जिम्मेदारी ली। यहां हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि बलूचिस्तान द्वारा पाकिस्तान से अलग होने की मांग इन दिनों क्यों उठने लगी है?

बलूचिस्तान पर क्यों है चीन की नजर?

बलूचिस्तान में खनिज और संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं और पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर इसके संसाधनों का दोहन कर रहा है और बदले में बलूचिस्तान के लोगों को कोई विकास नहीं दे रहा है।

इसके बजाय पाकिस्तान वही कर रहा है जो इन्होंने बांग्लादेश में किया था। इसलिए चीन की अवैध परियोजनाओं को रोकने के लिए BLA का गठन किया गया था। और इस प्रक्रिया में, अपनी स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने के लिए, बीएलए चीनी नागरिकों को मार रहा है।

चीन ने बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को विकसित करने की कोशिश की है, जो दशकों से पाकिस्तान और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण ट्रेड मार्ग का काम कर सकता है।

चीन की रणनीति में बलूचिस्तान का एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह समंदरी मार्ग चीन को अपने नौसैनिक व्यापार के लिए एक वैकल्पिक रास्ता प्रदान कर सकता है।

चीन भारत के खिलाफ बलूचिस्तान का इस्तेमाल कैसे कर सकता है?

इसके अलावा, बलूचिस्तान भारत के साथ भी एक रणनीतिक महत्वपूर्णता रखता है। बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विकास भारत के लिए चुनौतीपूर्ण बन सकता है। लेकिन, अपने पड़ोस में चीनी सेना का मुकाबला करने के लिए भारत भी ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित कर रहा है।

चीन ने पहले से ही बलूचिस्तान में अपने पैर जमाने की कोशिश की है और इसके परिणामस्वरूप वहां के स्थानीय लोगों और बलूच लिबरेशन आर्मी के बीच तनाव बढ़ गया है।

इस घटना के बाद, बीएलए ने चीन की प्रवेश रणनीति को प्रतिबंधित करने की मांग की है और इसके साथ ही भारत के साथ भी समझौते की ओर इशारा किया है।

लेखक: करन शर्मा