रक्षाबंधन क्यों है इतना शुभ दिन? क्या है रक्षाबंधन का इतिहास?

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नई दिल्ली/डेस्क: आज 30 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. हर साल सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन मनाते हैं. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं. आज दिन में भद्रा है, इसलिए रात में राखी बांधने का मुहूर्त है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बता रहे हैं राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, मंत्र, सावन पूर्णिमा तिथि और भद्रा काल.

30 व 31 अगस्त को भद्रा रहित राखी बांधने का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त को रात 09:02 मिनट तक भद्रा रहेगी। ऐसे में 30 अगस्त को रात 09:02 मिनट के बाद राखी बांधी जा सकती है।

रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस साल भद्रा काल के चलते रक्षाबंधन 30-31 अगस्त दो दिन मनाया जा रहा है. जो बहनें 31 अगस्त को भाई की कलाई पर राखी बांधने वाली हैं, उन्हें समय और मुहूर्त का विशेष ख्याल रखना होगा. दरअसल, 31 अगस्त की सुबह पूर्णिमा तिथि के साथ ही रक्षाबंधन भी समाप्त हो जाएगा. इसलिए आपको सावन पूर्णिमा के समापन से पहले ही भाई को राखी बांधनी होगी.

रक्षाबंधन पर भद्रा काल कब से है?

आज 30 अगस्त को रक्षाबंधन पर भद्रा काल सुबह सुबह 10:58 एएम से आज रात 09:01 पीएम तक है. भद्रा की पूंछ 05:30 पी एम से 06:31 पीएम तक और भद्रा मुख 06:31 पी एम से 08:11 पी एम तक है.

रक्षाबंधन 2023 राखी बांधने का मुहूर्त और पूजा समय क्या है?

आज राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रात 09:01 पी एम के बाद से पूरी रात तक है. जो लोग रक्षाबंधन पर पूजा करते हैं, उसके लिए शुभ समय सुबह 10:58 बजे से है. इस समय से आप पूरे दिन श्रावणी उपाकर्म या अन्य पूजा कर सकते हैं.

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

बांध कर उन्हें अपना भाई बनाया एवं भगवान नारायण को स्वतंत्र कराया, वह दिन सावन पूर्णिमा का था। 12 वर्षों तक इंद्र एवं दैत्य में युद्ध चला। अपने 12 वर्ष अर्थात उनके 12 दिन के युद्ध में इंद्र थक गए एवं दैत्य हावी हो रहे थे। इंद्र उस युद्ध से स्वयं की प्राण रक्षा कर के पलायन करने के लिए तैयार थे। इंद्र की यह व्यथा सुनकर इंद्राणि गुरु के शरण गईं। गुरु बृहस्पति ने ध्यान लगाकर इंद्राणी से कहा यदि ‘आप अपने पतिव्रत बल का प्रयोग करके यह संकल्प करें कि मेरे पति देव सुरक्षित रहें एवं इंद्र की दाहिनी कलाई पर एक धागा बांधें तो इंद्र युद्ध जीत जाएंगे।’

इंद्र विजयी हुए एवं इंद्राणी का संकल्प साकार हुआ। भविष्य पुराण में बताए अनुसार रक्षाबंधन यह मूलतः राजाओं के लिए था। राखी की एक नई पद्धति इतिहास काल से प्रारंभ हुई।

उसके बाद ये यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे ‘राखी’ के नाम से भी जाना जाता है। रक्षा बंधन को ‘रक्षा’ और ‘बंधन’ के शब्दों से मिलकर बनाया गया है। इसका मतलब होता है बहन की सुरक्षा के लिए भाई की प्रतिबद्धता। यह त्यौहार भाई-बहन के पवित्र और आत्मीय रिश्ते को स्वीकार करने का प्रतीक है।