नई दिल्ली: 15 जुलाई को PM के UAE दौरे में फैसला लिया गया कि साल 2030 तक गैर तेल कारोबार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य पार किया जाएगा. भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच रुपए और दिरहम में कारोबार होगा. यूएआई में आईआईटी दिल्ली का कैंपस बनाया जाएगा.
9 साल में PM मोदी ने कब-कब UAE का दौरा किया ?
PM मोदी पिछले नौ साल से देश के प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने अब तक अपने शासन के दौरान खाड़ी देशों से भारत के संबंधों को बढ़ाने पर काफी ध्यान दिया. जहां तक UAE का सवाल है. मोदी ने यहां का पहला दौरा अगस्त 2015 में, दूसरा फ़रवरी 2018 में और तीसरा अगस्त 2019 में किया और चौथा दौरा जून 2022 में किया था. मौजूदा दौरा UAE का उनका पांचवां दौरा है. जब मोदी ने अगस्त 2015 में UAE का पहला दौरा किया तो यह पिछले 34 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा था. मोदी से पहले 1981 में इंदिरा गांधी ने यूएई का दौरा किया था.
भारत-यूएई का रिश्ता किन चीज़ों पर टिका हुआ है ?
भारत-यूएई का रिश्ता तीन चीज़ों पर टिका हुआ है.
भारत पिछले वित्त वर्ष यानी 2022 से 23 के दौरान यूएई से कच्चा तेल आयात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश था. लेकिन अब दोनों देशों ने तेल के आलावा भी कारोबार को बढ़ाने का फैसला किया है. 15 जुलाई को PM के UAE दौरे में फैसला लिया गया कि साल 2030 तक गैर तेल कारोबार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य पार किया जाएगा.
PM मोदी ने किस तरीके से बनाएं UAE से संबंध ?
PM मोदी ने साल 2017 में गणतंत्र दिवस के मौक़े पर UAE को दी जा रही तवज्जो की एक झलक दिखाई, उस समय मोदी सरकार ने मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाह्यान को ही चीफ़ गेस्ट के रूप में बुलाया था. लेकिन तब मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाह्यान यूएई के राष्ट्रपति नहीं थे बल्कि अबूधाबी के क्राउन प्रिंस थे.
जानकारी के लिए हम आपको बता दें, कि परंपरा के हिसाब से भारत गणतंत्र दिवस पर किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को ही चीफ़ गेस्ट बनाता है. लेकिन अल नाह्यान 2017 में गणतंत्र दिवस पर चीफ़ गेस्ट बनकर आए थे.
दोनों देशों के बीच क्या-क्या समझौते हुए ?
- रुपये और यूएई की करेंसी दिरहम में कारोबार के लिए समझौता.
- यूपीआई ओर यूएई के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म की लिंकिंग को मंजूरी.
- यूएआई में आईआईटी दिल्ली का कैंपस बनाने पर समझौता.
- संयुक्त अरब अमीरात को COP-28 की अध्यक्षता के लिए भारत का समर्थन.
- आपसी कारोबार को बढ़ा कर 100 अरब डॉलर तक ले जाने पर सहमति.