G20 में शेरपा नाम को क्यों मिली अहम जिम्मेदारी, क्या करेंगे G20 शेरपा?

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नई दिल्ली: भारत की राजधानी नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन 9 से 10 सितंबर तक चलने वाला है। इस सम्मेलन के दौरान एक शब्द ‘शेरपा’ आपने बार-बार सुना होगा और सोचा होगा कि जी-20 में शेरपा को क्यों इतनी अहमियत मिल रही है? क्या काम है जी-20 शेरपा का? चलिए जानते हैं, लेकिन इससे पहले जानते हैं कि शेरपा कौन होते हैं?…

कौन होते हैं शेरपा?

शेरपा एक समुदाय है जो नेपाल और तिब्बत की ऊंची-ऊंची कठिन चढ़ाई वाली पहाड़ियों वाले इलाके में रहते हैं, जो एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले लोगों की मदद करते हैं। यही काम शेरपा जी-20 शिखर सम्मेलन में करेंगे। बात दें कि सभी सदस्य देशों के शेरपा जी-20 सम्मेलन के दौरान अपने-अपने देश को रिप्रेजेंट करेंगे। इसे समझने के लिए सबसे अच्छा उदहारण है। जैसे- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए हिलेरी की शेरपा ने मदद की थी, वैसे ही जी-20 के दौरान सभी शेरपा अपने देश के नेताओं की मदद करेंगे।

बता दें कि किसी भी शेरपा का पद राजदूत के बराबर होता है। इन सभी शेरपा की नियुक्तियां सदस्य देशों की सरकारे करती हैं। चलिए आपको एक और उदहारण देते हैं कि शेरपा का काम क्या होता है।

भारत की ओर से G20 शेरपा अमिताभ कांत ने बताया कि, “भारत में G20 शिखर सम्मेलन में 29 विशेष आमंत्रित देशों और 11 अंतराष्ट्रीय संस्थाओं ने हिस्सा लिया है। हमने इस अवसर का उपयोग करते हुए बैठकों को भारत के 60 शहरों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित की… जब G 20 दूसरे देशों में आयोजित हुआ तो वह देश के अधिकतम 2 शहरों में आयोजित होता था लेकिन भारत ने इसे 60 शहरों में आयोजित किया।”

उम्मीद है आप इस उदहारण के बाद समझ चुके होंगे कि एक जी-20 शेरपा का काम क्या होता है।

कहां से लिया गया शेरपा शब्द?

बता दें कि जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए जिस शेरपा शब्द का इस्तेमाल किया गया है वो शब्द नेपाली भाषा से लिया गया है। शेरपा तिब्बती भाषा के शब्द शर और पा से मिलकर बना है। जिसका मतलब होता है ‘पूरब के लोग’।