आई फ्लू: 1990 की दवा फिर से मचा रही धूम

Published
Image Source: NetMeds

नई दिल्ली/डेस्क: आजकल दिल्ली NCR, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में “आई फ्लू” का खतरनाक प्रसार देखा जा रहा है, जिसे लोग “आई फ्लू” या “पिंक आई” के नाम से जानते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों के साथ-साथ एलर्जी के कारण इस आई फ्लू की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और मौसम के कारण यह इन दिनों और भी तेजी से फैल रहा है। इसलिए अब फिर से सभी को एक विशेष प्रकार की दवा की याद आने लगी है.

क्लोराम्फेनिकोल आई ऑइंटमेंट की मची धूम

यह आश्चर्यजनक है, की केसै 1990 की यह दवा फिर से लोगों को ध्यान आ रही है। उस समय, जब लोगों की आई फ्लू के कारण लाल आंखें होती थीं, तब इस दवा का उपयोग किया जाता था। इस दवा की छवि को सोशल मीडिया पर फिर से व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है।

फिर से होगा इस दवा का उत्पादन

लेकिन, इस दवा का फिर से उत्पादन होने वाला है। टाटा 1 एमजी की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, क्लोराम्फेनिकोल 1% आई ऑइंटमेंट का उत्पादन पिलको फार्मा प्राइवेट लिमिटेड कर रही है, जो निजी गैर-सूचीबद्ध कंपनी है जिसकी पूंजीकृत पूंजी 80.0 लाख रुपये है। पिछले 35 वर्षों से, यह कंपनी मुख्यतः निर्माण में लगी हुई है। कंपनी कानपुर, उत्तर प्रदेश के रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत है।

कितने में मिलेगी यह दवा?

इसकी मूल्य की बात करें तो, क्लोराम्फेनिकोल 1% आई ऑइंटमेंट की मूल्य वर्तमान में लगभग 20 से 25 रुपये के आस-पास है। इसमें 10 ट्यूब्स की एक स्ट्रिप होती है। अब, क्लोराम्फेनिकोल 1% आई ऑइंटमेंट की ट्यूब्स भी बाजार में आ चुकी हैं, हालांकि उनकी कीमत थोड़ी ज्यादा है।

दवा हुई महंगी

पहले यह दवा काफी सस्ती थी, लेकिन अब इसकी मूल्यवर्धन हो चुका है। लोग इसे आई कैप्सूल, नीम का एक्सट्रैक्ट, निम्बोलीन, छिपरा मेडिसिन, पिंसीलीन, लोसना ट्यूब आदि नामों से भी पहचानते हैं। दुकानों में, यह आपको क्लोराम्फेनिकोल आई ऑइंटमेंट के नाम से मिलेगी। डॉक्टरों की माने तो, आई फ्लू का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। यह आमतौर पर तीन से पांच दिन तक रहती है।

डॉक्टरों का कहना है कि क्लोराम्फेनिकोल 1% आई ऑइंटमेंट एक प्रकार की एंटीबायोटिक है जो आंखों में होने वाले संक्रमण के बढ़ते हुए बैक्टीरिया के विकास को रोकती है। यह सीधे बैक्टीरिया को नहीं मारती, लेकिन उसके विकास की गति को नियंत्रित करती है, जिससे संक्रमण खत्म हो जाता है।

रिपोर्ट: करन शर्मा

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *