नई दिल्ली: दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम में हाल ही में हुई मौतों ने हड़कंप मचा दिया है। पिछले छह महीनों में यहां 25 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि जुलाई महीने में सिर्फ 20 दिन के भीतर 14 बच्चों की जान चली गई। इस मामले ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार को आलोचना के केंद्र में ला खड़ा किया है।
एंबुलेंस ड्राइवर के सनसनीखेज दावे
इस मामले में एंबुलेंस ड्राइवर ने चौंकाने वाले दावे किए हैं। उनका कहना है कि शेल्टर होम के अंदर की व्यवस्था बेहद खराब है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीने का पानी नहीं मिलता और बच्चों को खराब खाना दिया जाता है। इसके अलावा, शेल्टर होम में गंदगी और मच्छरों की भरमार है। ड्राइवर ने यह भी बताया कि बच्चों को नहाने का पानी पिलाया जा रहा है और कई बार सीएम ऑफिस और एलजी हाउस में मेल करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
शेल्टर होम की क्षमता और प्रशासनिक खामियां
आशा किरण शेल्टर होम, जो कि मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एक केंद्र है, दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है। इस शेल्टर होम की अधिकतम क्षमता 500 लोगों की है, लेकिन यहां 900 से ज्यादा बच्चे रह रहे हैं। सीएमओ अशोक कुमार ने भी स्वीकार किया कि यहां की खाने की गुणवत्ता ठीक नहीं है और क्षमता से अधिक लोगों को रखा गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग का दौरा और चिंताएं
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने फैक्ट फाइडिंग टीम के साथ आशा किरण शेल्टर होम का दौरा किया। आयोग ने खुलासा किया कि शेल्टर होम में लोगों को फंगस वाला खाना दिया जा रहा था और मौतों की संख्या बुखार और दस्त जैसे लक्षणों से जुड़ी थी। इससे शेल्टर होम की देखभाल की गुणवत्ता को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आई हैं।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन और संबंधित विभागों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग उठाई जा रही है।